न्याय की बात

न्याय की बात जनता के साथ

छत्तीसगढ़ महतारी के दुलरवा बेटा कवि श्री सुरेंद्र दुबे जी ल भावपूर्ण श्रद्धांजलि विनीत न्याय की बात परिवार छत्तीसगढ़

1 min read
Please follow and like us:

26 जून 2025 की दोपहर में रायपुर के Advanced Cardiac Institute (ACI) में हुआ, जहाँ उनका लंबे समय तक इलाज चल रहा था। उनके हृदय की गति रुकने के कारण उनका निधन हो गया ।

 

 

 

⚰️ निधन के मुख्य तथ्य

 

निधन तिथि और समय: 26 जून 2025 (गुरुवार), दोपहर ।

 

आयु: 71/72 वर्ष (विभिन्न रिपोर्टों में अंतर—कुछ ने 71, कुछ ने 72 वर्ष लिखा है) ।

 

कारण: दिल का दौरा (cardiac arrest), जिनमें से एक दोपहर करीब दिल की गति रुकने से हुआ ।

 

 

 

 

👨‍🎓 परिचय व उपलब्धियाँ

 

जन्म: 8 अगस्त 1953, बेमेतरा, दुर्ग जिला, छत्तीसगढ़

 

**पदोन्नति:**

 

2010 में साहित्य एवं हास्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित ।

 

2008 में ‘हास्य रत्न’ पुरस्कार (काका हाथरसी) ।

 

 

पेशा: आयुर्वेदाचार्य और हास्य–व्यंग्य कवि

 

लेखन: कुल पाँच पुस्तकें; मंचों और टीवी पर हास्य कविताओं की प्रस्तुति ।

 

 

 

 

🖋️ साहित्यिक छाप और लोक प्रियता

 

उन्होंने हास्य व व्यंग्य में गंभीर सामाजिक संदेश दिए, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते थे ।

 

COVID‑19 के दौरान उनकी एक कविता प्रसारित हुई जिसमें लिखा था:

 

> “…हँसो, कितना भी पुराना चुटकुला हो, हँसो और एंटीबॉडी बना लो।”

 

 

 

अमेरिका सहित कई देशों में कवि सम्मेलनों में मंच साझा किया ।

 

 

 

 

🗣️ शोक संदेश

 

**मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय:**

 

> “छत्तीसगढ़ी साहित्य व हास्य काव्य के शिखर पुरुष… देश-विदेश के मंचों को गौरान्वित किया… साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति” 。

राज्य व केन्द्र के कई अन्य नेताओं, साहित्यकारों और आम जनता ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित की ।

📌 अंतिम श्रद्धांजलि

 

डॉ. सुरेन्द्र दुबे की मृत्यु सिर्फ एक कवि के स्वर को मौन नहीं करती, बल्कि मंच और हास्य की दुनिया को एक महान स्वर की चुप्पी देती है। उनकी कविताएँ आज भी लोगों को हँसने और सोचने पर विवश करती हैं। इस सरल लेकिन गहरे हास्य की विरासत, उनके शब्दों और प्रस्तुतियों का, अपने

साथियों व दर्शकों के दिलों में अमिट स्थान रहेगा।

 

 

 

Please follow and like us:

Telegram